बागमती नदी हिमालय की महाभारत श्रेणियों
में नेपाल से निकलती है। यह नदी नेपाल में लगभग 195 किलोमीटर की यात्रा तय कर के
बिहार के सीतामढ़ी जिले में समस्तीपुर-नरकटियागंज रेल लाइन पर स्थित ढेंग रेलवे
स्टेशन के 2.5 किलोमीटर उत्तर में भारत में प्रवेश करती है। बिहार में इस नदी की
कुल लम्बाई 394 किलोमीटर है। नेपाल में इस नदी का कुल जल ग्रहण क्षेत्र 7884 वर्ग
किलोमीटर है।
ढेंग और बैरगनियाँ स्टेशन को जोड़ने वाली रेल
लाइन पर बने पुल संख्या 89, 90, 91, 91A और 91B से होकर यह नदी
दक्षिण दिशा में चलती है जहाँ लगभग 2.5 किलोमीटर नीचे भारत का जोरियाही नाम का
पहला गाँव पड़ता है। यहाँ से 5 किलोमीटर दक्षिण चल कर बागमती खोरीपाकर गाँव में
आती है। ढेंग से खोरीपाकर की दूरी साढे़ बारह कि॰मी॰ है और यहीं से थोड़ा और नीचे
चल कर देवापुर गाँव के पास उसके दाहिने किनारे पर लालबकेया नदी में मिलती है। इस
लम्बाई में नदी की प्रवृत्ति पश्चिम से होकर बहने की है मगर लालबकेया से उसका संगम
स्थल प्रायः स्थिर रहता है।
नदी की इस लम्बाई में बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं
हुए हैं यद्यपि उसकी एक पुरानी धारा का जिक्र और रेखांकन जरूर मिलता है। बिहार के
तराई क्षेत्रों में प्रवेश करने के बाद यह नदी बाढ़ के दिनों में अक्सर अपना
प्रवाह मार्ग बदल लेती है। इस नदी में बाढ़ के
कारण बिहार के सीतामढ़ी, मुजफ़्फ़रपुर, दरभंगा और मधुबनी ज़िलों में काफ़ी क्षति पहुँचाती है।
इसकी सहायक नदियों में लाल बकेया नदी, लखनदेई नदी, चकनाहा नदी, जमुने नदी, सिपरीधार नदी, छोटी बागमती, कोला नदी आदि हैं।
कोसी परियोजना के अन्तर्गत बागमती नदी को भी नियन्त्रित कर इस पर पुल और नये बाँध
बनाए गए हैं। यह कमला नदी से मिलकर कोसी नदी में मिल जाती है। तराई के मैदानों को
पार करती हुई बागमती नदी बिहार में प्रवेश करती है और 360 किलोमीटर दूरी तय करने
के बाद दक्षिण-पूर्व की ओर बहती हुई बूढ़ी गंडक नदी में मिल जाती है।
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बागमती नदी से जुड़ी जानकारियां फोटो द्वारा संकलित
बागमती नदी हिमालय की महाभारत श्रेणियों में नेपाल से निकलती है. नेपाल में लगभग 195 किलोमीटर की यात्रा कर के बिहार के सीतामढ़ी में समस्तीपुर-नरकटियागंज रेल लाइन पर स्थित ढेंग रेलवे स्टेशन के 2.5 किलोमीटर उत्तर में भारत में प्रवेश करती है.
बागमती के तट पर विभिन्न संस्कृतियां पोषित हुई हैं, पुराणों में बागमती के किनारों पर बहुत से धार्मिक तीर्थस्थल होने का वर्णन दृष्टिगोचर होता है.
बिहार के वासियों के लिए बागमती जीवनयापन का आधार है, आत्मिक रूप से व्यापक जनसंख्या बागमती नदी से जुड़ी हुई है एवं इसके पानी की अद्भुत उर्वरक क्षमता का लोहा सभी लोग मानते हैं.
बागमती से संगम करने वाली और उसकी धारा से फूट कर निकलने वाली बहुत सी नदियाँ हैं, जिनमें विष्णुमति नदी, लखनदेई नदी, चकनाहा नदी, लाल बकेया नदी, सिपरीधार नदी, जमुने नदी, छोटी बागमती, कोला नदी आदि प्रमुख है.
मिथिला की भौगोलिक परिस्थितियाँ विशेष प्रकार की हैं, वहां वर्षा की अधिकता है. नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र की मिट्टी भुरभुरी है, जिससे नदियों में भारी मात्रा में गाद आती है, बिहार में कृषि के लिए बाढ़ एक प्रकार से प्राकृतिक उपहार के समान हुआ करती थी.
बागमती घाटी और अधवारा समूह के क्षेत्र में छोटी-छोटी नदियों का जाल सा बिछा हुआ है, जो परंपरागत रूप से सिंचाई व्यवस्था करके जमीन की उर्वरकता को कायम रखे जाने में सहायक है.